Parivar me dosti
दोस्ती का राग गाते चलो, हर रिश्ते को निभाते चलो |
धरती पे ही स्वर्ग बनाते चलो |
पिता-पुत्र की दोस्ती है बहुत प्यारी, बीना बोले वो समझे पुत्र की परेशानियाँ सारी|
आने लगे पुत्र को पिता के जूते तो है ये इस बात की तैयारी,अब पुत्र भी समझें पिता की परेशनियाँ सारी
माँ बेटी की दोस्ती इनसे न्यारी, बन जाते है ये दोस्त जब पहली बार बोले बेटी प्यारी|
माँ समझे बेटी की इच्छाएँ सारी और बेटी भी समझें माँ की भावनाएँ प्यारी |
भाई बहन की दोस्ती है बड़ी निराली, लड़ते है झगडते है जैसे चूहे बिल्ली की कहानी |
नहीं उतरता फिर भी इनके अकेले पित पानी |
दोस्ती का रंग है बड़ा निराला हर रिश्ते में घुल जाए तो बन जाए हर रिश्ता अमृत का प्याला |
दोस्ती का राग गाते चलो, हर रिश्ते को निभाते चलो |
धरती पे ही स्वर्ग बनाते चलो |
Khub bhalo
ReplyDelete👌👌👌👌
ReplyDeleteWaw interested... . ..
ReplyDeleteGreat effort always brings something special.. . . . . .. Continue 👌👍👍👍👍
Wow u did excellent job... lockdown has taken out your inner quality💯
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 27 एप्रिल 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteप्रयास जारी रखो ...
ReplyDeleteबहुत बहुत स्वागत है आपका मित्र शब्दों की इस दुनिया में। पहली ही पोस्ट ने मन मोह लिया। बहुत बहुत शुभकामनाएं आपको। लिखती रहें यूँ ही
ReplyDeleteआप अपने वहाँ के स्थानीय समाचार पत्रों में उस दिन ( वार ) का पता कर लो जिस दिन अतिरिक्त साहित्यिक अंक उसमें संलग्न होते हैं।
ReplyDeleteउनमे अपनी रचना भेजने का पोस्टल पता और ईमेल एड्रेस भी होता है। उसमें भी भेज सकती हो या फिर अगर उसी शहर में उस समाचार पत्र का प्रेस है तो वहाँ जा कर उस विभाग से सम्बंधित अधिकारी से मिल कर अपनी रचना सौंप सकती हो।
प्रयास करती रहो ... बस ...
Ok thank you sir.
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