घर पर ही रहना हैं।
कोरोना का आग्गाज है, दुनिया हैरान परेशान है,
नेताओ की गले में जान है|
कोरोना के प्रकोप को पहचानो कृपा अपना समय घर पे ही निकालो,
डॉक्टरों ने अपनी जान लगाई है,
जब जब रोगियों ने अपनी लाइन लगाई है,
इनका भी तुम दुःख पहचानो अपना समय घर पे ही निकालो|
पुलिस वालो का तुम्हे रोकना ही एक काम नहीं इनको भी एक पल आराम नही,
इनके भी बच्चे और घर परिवार कही,
यू न करो परेशां इन्हे, बस इतना सा काम करो घर पे ही आराम करो|
घर के लिए समय न होने की शिकायते होती है सदा तुम्हारी,
और आज घर से निकलने की होड़ लगी है भारी,
जाओ अपने बच्चोँ की कला पहचानो उनकी आशाएँ जानो,
खेलो उनके साथ खेल कई रह जाओ बस घर में ही कहीं।
घर से निकलते है जो सेवा को तुम्हारी,
उनका भी तुम सम्मान करो यू न उन पे पथराव करो,
बचा रहे है जो जान तुम्हारी ईश्वर और अल्ला का रूप यही है ये बात मान लो हमारी,
बस अब तो कोरोना का प्रकोप पहचानो अब तो समय घर पे ही निकालो
Yr poem is awesome.. It's a better way to motivate and charge your self
ReplyDeleteThanks
DeleteVery beautiful use of words , would definitely like to meet the author and commend him/her.
ReplyDeleteNice 👌
ReplyDeleteSuperb 💯
ReplyDelete👌👌👌👌👌👌
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर अति सुन्दर👌👌👌👌👌
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