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Showing posts from April, 2020

माया आम की।

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फलो का राजा होता हैं आम, लेकिन ये होता नही बिलकुल भी आम। छुपा रखा है इसने कई गुणों की खान, सुनाता हैं ये समाज के कई फरमान। खट्टे आम कुछ को ही भाते,  नए बदलाव कुछ को ही रास आते। धीरे-धीरे ये पक्कते जाते सबको ये स्वाद दिलाते, बदलावो की भी यही है बात, घुल जाते है सब मे समय के साथ। ज्यादा ही ये जब पक्क जाते किसी को भी ना रास आते, बदलावों में भी जो घुल ना पाते , समाज से अलग अपने को पाते। प्रकृति की तो यही है माया,  समय के साथ बदलती अपनी काया। जो इसमे बह पाया, वही तो आखिर तक है रह पाया।

Math ke saval

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ओ math के सवाल, क्यों करता है इतना हमें परेशान, दसवीं तक तो हम करते थे तुम से प्यार,  अब तुझमे speed बनाने के चक्कर में हो गए हम परेशान। हर competition exam में तु ही हमेशा भारी है, इसमे क्या गलती हमारी है?? दसवीं से हजार गुणा तुझे घुमाया है, फिर भी सब कहते है दसवीं तक का ही तो pattern आया हैं। ओ math के सवाल क्यों करता है इतना हमें परेशान।

Dharti Mata

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धरती माँ थी परेशान बड़ी, हुए इस पर हत्याचार कई |  सुख का तो नामो निशान नहीं,पर मशीनों के हुवे अविष्कार कई |  हर तरफ आविष्कारों की घटा छाई है , जाने अनजाने विनाश कारक हथियारो की लाइन लगाई है |  धरती माँ थी परेशान बड़ी, धुँए का कोहराम यही,  शांति का तो नामो निशान नहीं | गुम गई चिड़ियों की चहचाट कही, रह गई बस गाड़ियों की आवाज यहीं | गंगा माँ को भी दुःख छाया था, उन्हें भी लोगो ने मेला बताया था |  कही पे सुखा तो कही बाढ का आंतक छाया था, हमने अपने ही कर्मो का फल पाया था |  फिर माँ ने अपना प्रकोप दिखाया था, केदारनाथ जैसा हा हा कार मचाया था |  फिर भी माँ के दुःख को न जाना, ना माँ के प्रकोप को पहचाना |  अब बड़ा संकट का समय आया है, माँ ने अपना प्रचंड़ रूप दिखाया है |  सब को अपने घरों में बैठाया है, खुद को स्वच्छ करने का जिम्मा खुद ने उठाया है | रोक दिए आविष्कार सभी, शोर का भी नामो निशान नहीं | गंगा भी अब स्वच्छ कहलाई, वातावरण में भी थोड़ी ठण्ड छाई | अब तो माँ के प्रकोप को जाने, अब तो माँ के दुःख को पहचाने, अब तो माँ से माफ़ी माँगे |    लेते है अब वचन सभी,  द

Parivar me dosti

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  दोस्ती का राग गाते चलो, हर रिश्ते को निभाते चलो |  धरती पे ही स्वर्ग बनाते चलो | पिता-पुत्र की दोस्ती है बहुत प्यारी, बीना बोले वो समझे पुत्र की परेशानियाँ सारी|  आने लगे पुत्र को पिता के जूते तो है ये इस बात की तैयारी,अब पुत्र भी समझें पिता की परेशनियाँ सारी माँ बेटी की दोस्ती इनसे न्यारी, बन जाते है ये दोस्त जब पहली बार बोले बेटी प्यारी|  माँ समझे बेटी की इच्छाएँ सारी और बेटी भी समझें माँ की भावनाएँ प्यारी |  भाई बहन की दोस्ती है बड़ी निराली, लड़ते है झगडते है जैसे चूहे बिल्ली की कहानी | नहीं उतरता फिर भी इनके अकेले पित पानी |  दोस्ती का रंग है बड़ा निराला हर रिश्ते में घुल जाए तो बन जाए हर रिश्ता अमृत का प्याला |  दोस्ती का राग गाते चलो, हर रिश्ते को निभाते चलो |  धरती पे ही स्वर्ग बनाते चलो |             

घर पर ही रहना हैं।

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    कोरोना का आग्गाज   है,   दुनिया हैरान   परेशान है , नेताओ की गले में जान है| कोरोना के प्रकोप को पहचानो   कृपा अपना समय घर पे ही    निकालो , डॉक्टरों ने अपनी जान लगाई है, जब जब रोगियों ने अपनी लाइन लगाई है,   इनका भी तुम दुःख पहचानो अपना समय घर पे ही निकालो| पुलिस वालो का तुम्हे रोकना ही एक काम नहीं इनको भी एक पल आराम नही, इनके भी बच्चे और घर परिवार कही ,    यू न करो परेशां इन्हे, बस इतना सा काम करो घर पे ही आराम करो| घर के लिए समय न होने की शिकायते होती है सदा तुम्हारी, और आज घर से निकलने की होड़ लगी है भारी ,  जाओ  अपने बच्चोँ की कला   पहचानो उनकी आशाएँ जानो , खेलो उनके साथ खेल कई रह जाओ बस घर में ही कहीं। घर से निकलते है जो सेवा को तुम्हारी, उनका भी तुम    सम्मान करो यू न उन पे पथराव करो, बचा रहे है जो जान तुम्हारी ईश्वर    और अल्ला    का रूप यही है  ये बात मान लो हमारी, बस अब तो कोरोना का प्रकोप पहचानो    अब तो समय घर पे ही   निकालो