Dharti Mata
धरती माँ थी परेशान बड़ी, हुए इस पर हत्याचार कई |
सुख का तो नामो निशान नहीं,पर मशीनों के हुवे अविष्कार कई |
हर तरफ आविष्कारों की घटा छाई है , जाने अनजाने विनाश कारक हथियारो की लाइन लगाई है |
धरती माँ थी परेशान बड़ी, धुँए का कोहराम यही,
शांति का तो नामो निशान नहीं |
गुम गई चिड़ियों की चहचाट कही, रह गई बस गाड़ियों की आवाज यहीं |
गंगा माँ को भी दुःख छाया था, उन्हें भी लोगो ने मेला बताया था |
कही पे सुखा तो कही बाढ का आंतक छाया था, हमने अपने ही कर्मो का फल पाया था |
फिर माँ ने अपना प्रकोप दिखाया था, केदारनाथ जैसा हा हा कार मचाया था |
फिर भी माँ के दुःख को न जाना, ना माँ के प्रकोप को पहचाना |
अब बड़ा संकट का समय आया है, माँ ने अपना प्रचंड़ रूप दिखाया है |
सब को अपने घरों में बैठाया है, खुद को स्वच्छ करने का जिम्मा खुद ने उठाया है |
रोक दिए आविष्कार सभी, शोर का भी नामो निशान नहीं |
गंगा भी अब स्वच्छ कहलाई, वातावरण में भी थोड़ी ठण्ड छाई |
अब तो माँ के प्रकोप को जाने, अब तो माँ के दुःख को पहचाने,
अब तो माँ से माफ़ी माँगे |
लेते है अब वचन सभी, देंगे ना माँ को दुःख कभी |
माँ कर देगी माफ़ सभी गलतियाँ हमारी
धरती माँ है,
बड़ी प्यारी, बड़ी प्यारी, बड़ी प्यारी......
गंगा भी अब स्वच्छ कहलाई, वातावरण में भी थोड़ी ठण्ड छाई |
अब तो माँ के प्रकोप को जाने, अब तो माँ के दुःख को पहचाने,
अब तो माँ से माफ़ी माँगे |
लेते है अब वचन सभी, देंगे ना माँ को दुःख कभी |
माँ कर देगी माफ़ सभी गलतियाँ हमारी
धरती माँ है,
बड़ी प्यारी, बड़ी प्यारी, बड़ी प्यारी......
👌👌
ReplyDelete👏👏👏👏👏👌👌👌👌👌बहुत प्रभावशाली
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