बदल रहा है मौसम, बदल रहा है नजारा, बदल रहा है, जीवन का सार सारा, बदल रही है मेरी कहानी, बदल रही है मेरी मनमानी। बदलावो का आया ऐसा तूफान, बदल जायेगा मेरा संसार। बदलावो कि यह ऐसी कहानी लगती सभी बेटियों को अपनी सी कहानी। बदल दे आँगन बदल दे पुरा घरबार, क्यु बनाया बेटी का ऐसा संसार? बदल रहा है मौसम बदल रहा है नजारा, न जाने क्या होगा आगे का नजारा, आएगी खुशियाँ या ढूँढ लेगा दुःख हमारा गलियारा। रह-रह के सवाल आता, घर से दुर जाने का खयाल भी हमे डराता। मौसम ने की ऐसी मनमानी, बदलती सी लग रही है जीवन कि कहानी। बेटी हो जाएगी बेगानी, ऐसी क्यु कि समाज ने अपनी मनमानी? (Khushboo soni)
घुमे मंदिर-मस्जिद और गुरुद्वारा, पुजा साधु-महात्मा का चरण द्वारा, मिला कुछ फिर ज्ञान का भंडारा, हल्का होने लगा अज्ञानता का अँधियारा। हो गई इतने में संगत ऐसी, भाए मन को पर कर दे दुर ज्ञान की ज्योति। मन तो है एक चंचल बालक, उसे भाए केवल सुख का आलम, वो न जाने ज्ञान का पालन। मन की पकड़ो सदा लगाम, सदा रखो कुसंगती का ध्यान। संगति ही हमें बनाती, ज्ञान की राह दिखाती। कृष्ण सी दोस्ती कराती, हर युद्ध में विजय दिलाती। कुसंगति विनाश जगाती, दानवीर की दुर्गती कराती।
भरते है उडान सपनो की हर कोई, मिलती है मंजिले कुछ को, खो जाते है राहो में ही कई कहि। सपनों का सफर आसान नही, होती है इसमे कुर्बानिया कई। निराशाओं के बादल आते है इसमे कई, जो लड़ता है इन बादलो से , जीतता है वही। होती असफलता फिर भी खुद को थामता नही। मिलती है सफलता उसे जो कभी हार मानता नही।
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