बदल रहा है मौसम, बदल रहा है नजारा, बदल रहा है, जीवन का सार सारा, बदल रही है मेरी कहानी, बदल रही है मेरी मनमानी। बदलावो का आया ऐसा तूफान, बदल जायेगा मेरा संसार। बदलावो कि यह ऐसी कहानी लगती सभी बेटियों को अपनी सी कहानी। बदल दे आँगन बदल दे पुरा घरबार, क्यु बनाया बेटी का ऐसा संसार? बदल रहा है मौसम बदल रहा है नजारा, न जाने क्या होगा आगे का नजारा, आएगी खुशियाँ या ढूँढ लेगा दुःख हमारा गलियारा। रह-रह के सवाल आता, घर से दुर जाने का खयाल भी हमे डराता। मौसम ने की ऐसी मनमानी, बदलती सी लग रही है जीवन कि कहानी। बेटी हो जाएगी बेगानी, ऐसी क्यु कि समाज ने अपनी मनमानी? (Khushboo soni)
धरती माँ थी परेशान बड़ी, हुए इस पर हत्याचार कई | सुख का तो नामो निशान नहीं,पर मशीनों के हुवे अविष्कार कई | हर तरफ आविष्कारों की घटा छाई है , जाने अनजाने विनाश कारक हथियारो की लाइन लगाई है | धरती माँ थी परेशान बड़ी, धुँए का कोहराम यही, शांति का तो नामो निशान नहीं | गुम गई चिड़ियों की चहचाट कही, रह गई बस गाड़ियों की आवाज यहीं | गंगा माँ को भी दुःख छाया था, उन्हें भी लोगो ने मेला बताया था | कही पे सुखा तो कही बाढ का आंतक छाया था, हमने अपने ही कर्मो का फल पाया था | फिर माँ ने अपना प्रकोप दिखाया था, केदारनाथ जैसा हा हा कार मचाया था | फिर भी माँ के दुःख को न जाना, ना माँ के प्रकोप को पहचाना | अब बड़ा संकट का समय आया है, माँ ने अपना प्रचंड़ रूप दिखाया है | सब को अपने घरों में बैठाया है, खुद को स्वच्छ करने का जिम्मा खुद ने उठाया है | रोक दिए आविष्कार सभी, शोर का भी नामो निशान नहीं | गंगा भी अब स्वच्छ कहलाई, वातावरण में भी थोड़ी ठण्ड छाई | अब तो मा...
कोरोना का आग्गाज है, दुनिया हैरान परेशान है , नेताओ की गले में जान है| कोरोना के प्रकोप को पहचानो कृपा अपना समय घर पे ही निकालो , डॉक्टरों ने अपनी जान लगाई है, जब जब रोगियों ने अपनी लाइन लगाई है, इनका भी तुम दुःख पहचानो अपना समय घर पे ही निकालो| पुलिस वालो का तुम्हे रोकना ही एक काम नहीं इनको भी एक पल आराम नही, इनके भी बच्चे और घर परिवार कही , यू न करो परेशां इन्हे, बस इतना सा काम करो घर पे ही आराम करो| घर के लिए समय न होने की शिकायते होती है सदा तुम्हारी, और आज घर से निकलने की होड़ लगी है भारी , जाओ अपने बच्चोँ की कला पहचानो उनकी आशाएँ जानो , खेलो उनके साथ खेल कई रह जाओ बस घर में ही कहीं। घर से निकलते है जो सेवा को तुम्हारी, उनका भी तुम सम्मान करो यू न उन पे पथराव करो, बचा रहे है जो जान तुम्हारी ईश्वर और अल्ला का रूप यही है ये बात मान लो हमारी, बस अब तो कोरोना का प्रकोप पहचानो अब तो समय घर पे ही निकालो ...
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